बच्चों के लिए भगवद गीता से 10 जीवन सबक

भगवद गीता, महाभारत के भीष्म पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ संवाद है। इस संवाद में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को समझाया। भगवद गीता के शाश्वत सिद्धांत आज भी हमारे जीवन को दिशा देने का काम करते हैं। बच्चों के लिए भगवद गीता के ये जीवन सबक न केवल उन्हें अच्छे मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं, बल्कि उनके मानसिक और नैतिक विकास में भी मददगार होते हैं।

आइए जानते हैं भगवद गीता 10 महत्वपूर्ण जीवन पाठ दिए गए हैं, जिन्हें बच्चे गीता से सीख सकते हैं और अपने जीवन को सफल और संतुलित बना सकते हैं:

बच्चों के लिए भगवद गीता से 10 जीवन सबक

1. सही दृष्टिकोण विकसित करें

भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को जीवन में सही दृष्टिकोण रखने की सलाह दी। अर्जुन युद्ध करने में हिचकिचा रहा था क्योंकि वह भविष्य के परिणामों से डर रहा था। कृष्ण ने उसे यह समझाया कि सही दृष्टिकोण से ही हम अपने कार्यों को सही तरीके से समझ सकते हैं।

बच्चों को सही दृष्टिकोण कैसे सिखाएं: बच्चों को यह सिखाएं कि किसी भी समस्या को समझने से पहले उनका दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है। दूसरों की भावनाओं और विचारों को समझना जरूरी है, लेकिन हर किसी से सहमत होना जरूरी नहीं है।

  • बच्चों को सिखाएं कि हर समस्या को एक अवसर के रूप में देखें।
  • उन्हें यह समझाएं कि दूसरों के विचारों का सम्मान करना जरूरी है।
  • उदाहरण के लिए, किसी खेल में हारने पर निराश न होकर अगली बार बेहतर करने का संकल्प लेना।

2. परिवर्तन को स्वीकार करें

भगवद गीता में यह बताया गया है कि जीवन में परिवर्तन अपरिहार्य हैं। हमें बदलावों को स्वीकार करना चाहिए, क्योंकि यही जीवन का हिस्सा हैं। भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि जीवन में निरंतर परिवर्तन आता रहता है, और इसे स्वीकार करना चाहिए।

बच्चों को बदलाव से कैसे निपटना सिखाएं: बच्चों को यह समझाने की कोशिश करें कि बदलाव समय के साथ आते हैं और ये हमेशा सकारात्मक होते हैं। उन्हें यह एहसास दिलाएं कि बदलाव उनके विकास के लिए जरूरी होते हैं।

  • बच्चों को बताएं कि नए अनुभवों से घबराने की बजाय उन्हें अपनाना चाहिए।
  • उन्हें नई कक्षाओं, नए दोस्तों या नई गतिविधियों के प्रति उत्साहित करें।
  • उदाहरण: स्कूल बदलने पर नए माहौल में घुलने-मिलने की सलाह दें।

3. सहनशीलता और क्षमा का अभ्यास करें

भगवद गीता में सहनशीलता और क्षमा को महत्व दिया गया है। ये गुण रिश्तों को मजबूत बनाने, दया और समझ को बढ़ाने में मदद करते हैं। यह हमें अपने विरोधियों को भी समझने और उन्हें क्षमा करने की शक्ति देता है।

बच्चों को सहनशील और क्षमाशील कैसे बनाएं: बच्चों को यह सिखाएं कि सहनशील और क्षमाशील होना उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है। उन्हें उन लोगों से बात करने के लिए प्रोत्साहित करें जो उन्हें चोट पहुँचाते हैं, और समझें कि गुस्से में आकर कोई समस्या हल नहीं होती।

  • बच्चों को ऐसी कहानियाँ सुनाएँ जो सहनशीलता और क्षमा की महत्ता दर्शाती हों।
  • जब कोई बच्चा गुस्सा करे, तो उसे शांत होकर सोचने की सलाह दें।
  • एक अभ्यास: बच्चे को अपने दोस्त से माफी मांगने और दोस्त को माफ करने के लिए प्रेरित करें।

4. सकारात्मक सोच को अपनाएं

भगवद गीता में श्री कृष्ण ने अर्जुन को नकारात्मक विचारों को अपने ऊपर हावी नहीं होने देने की सलाह दी। सकारात्मक सोच हमें जीवन के कठिन संघर्षों में मदद करती है और हमें आत्मविश्वास से भर देती है।

बच्चों को सकारात्मक सोच कैसे सिखाएं: बच्चों को जीवन में कठिनाइयाँ और संघर्ष स्वीकार करने के लिए प्रेरित करें। उन्हें सिखाएं कि हर समस्या का समाधान होता है, और एक अच्छा सोचने का तरीका उन्हें सफलता की ओर ले जाएगा।

  • बच्चों को एक “पॉजिटिविटी जर्नल” रखने के लिए कहें, जहाँ वे अपनी हर दिन की अच्छी बातों को लिखें।
  • कठिन समय में हिम्मत बढ़ाने वाले प्रेरक उद्धरण या कहानियाँ सुनाएँ।
  • उदाहरण: किसी परीक्षा में अच्छे नंबर न आने पर उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि मेहनत से अगली बार परिणाम बेहतर होगा।

5. शांत और धैर्यवान रहना

भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को शांत रहने की सलाह दी, ताकि वह अपने निर्णय सही तरीके से ले सके। जीवन की कठिनाइयों में शांति बनाए रखना जरूरी है ताकि हम अपने विकल्पों का सही मूल्यांकन कर सकें।

बच्चों के लिए भगवद गीता से 10 जीवन सबक

बच्चों को शांत कैसे रहना सिखाएं: बच्चों को यह सिखाएं कि किसी भी चुनौती का सामना करते समय हमें शांत रहकर सोचने की जरूरत होती है। गहरी साँस लेना, 50 तक गिनना, या कुछ देर के लिए चुप रहना जैसे तरीके उन्हें शांत करने में मदद कर सकते हैं।

  • बच्चों को ध्यान (Meditation) और गहरी साँस लेने की तकनीक सिखाएं।
  • जब बच्चे किसी चुनौती का सामना करें, तो उन्हें कुछ समय रुककर सोचने की आदत डालें।
  • उदाहरण: किसी बहस में जल्दबाजी से बोलने की बजाय शांत रहकर अपनी बात कहना।

6. विश्व कल्याण के लिए कार्य करें

भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि हमें अपने कर्मों का उद्देश्य केवल अपने लाभ के लिए नहीं, बल्कि दूसरों के भले के लिए होना चाहिए। हमें इस दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाने की दिशा में काम करना चाहिए।

बच्चों को दानशील और सहायक कैसे बनाएं: बच्चों को दूसरों की मदद करने और अपने खिलौने, कपड़े जरूरतमंदों को देने के लिए प्रोत्साहित करें। उन्हें समाज सेवा और स्वेच्छा से काम करने के महत्व के बारे में बताएं।

7.  निडर बनें और आत्मविश्वास बढ़ाएँ

भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को निडर बनने की सलाह दी, ताकि वह अपने भय और संकोच को दूर कर सके। निडरता से हम अपने डर का सामना कर सकते हैं और नए अवसरों को पहचान सकते हैं।

बच्चों को निडर कैसे बनाएं: बच्चों को यह बताएं कि डर केवल तब होता है जब हमें किसी चीज़ के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती। उन्हें प्रोत्साहित करें कि वे नए अनुभवों को अपनाएं और असफलताओं से सीखें।

  • बच्चों को नए काम करने के लिए प्रेरित करें, चाहे वे कितना भी डर महसूस करें।
  • असफलता से घबराने की बजाय सीखने की आदत डालें।
  • उदाहरण: मंच पर बोलने का डर दूर करने के लिए छोटे-छोटे अभ्यास करवाएं।

8. क्रोध पर नियंत्रण रखें

भगवद गीता में बताया गया है कि क्रोध हमारी तर्क शक्ति को खत्म कर देता है और हमें गलत निर्णय लेने के लिए प्रेरित करता है। अर्जुन को भगवान कृष्ण ने यह समझाया कि क्रोध पर नियंत्रण रखना महत्वपूर्ण है।

बच्चों को क्रोध से कैसे निपटना सिखाएं: बच्चों को यह सिखाएं कि क्रोध आना स्वाभाविक है, लेकिन उन्हें इसके साथ समझौता नहीं करना चाहिए। गहरी साँस लेना और खुद को शांत करने के तरीके बच्चों को सिखाएं।

  • बच्चों को गुस्से में खुद को शांत रखने के उपाय बताएं, जैसे 10 तक गिनना या गहरी साँस लेना।
  • उन्हें यह भी सिखाएं कि क्रोध से कुछ भी हल नहीं होता, बल्कि सही सोच से हल निकलता है।
  • उदाहरण: झगड़े के बाद खुद को शांत करने के लिए संगीत सुनना।

9. बड़े सपने देखें

भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने यह संदेश दिया कि हमें बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास करना चाहिए। जीवन में सफलता उन्हीं लोगों को मिलती है जो बड़े सपने देखते हैं और उन्हें साकार करने के लिए मेहनत करते हैं।

बच्चों को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करें: बच्चों को बड़े लक्ष्यों की ओर प्रेरित करें। उन्हें छोटे कदमों से अपने सपनों को पूरा करने के लिए मार्गदर्शन दें। उन्हें असफलता से डरने की बजाय उससे सीखने के लिए प्रेरित करें।

  • बच्चों को उनके सपनों की सूची बनाने और उनके लिए योजना बनाने को कहें।
  • उन्हें प्रेरणादायक कहानियाँ और किताबें पढ़ने को प्रेरित करें।
  • उदाहरण: डॉक्टर या वैज्ञानिक बनने का सपना देखने वाले बच्चे को प्रेरित करने के लिए उसकी रुचि के अनुसार किताबें दें।

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10. स्वीकार करें कि कुछ भी स्थायी नहीं है

भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने यह कहा कि इस दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं है। यह हमें यह समझाता है कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, और हमें हर परिस्थिति को स्वीकार कर उसका सामना करना चाहिए।

बच्चों को नश्वरता कैसे समझाएं: बच्चों को यह सिखाएं कि जीवन में समय के साथ बदलाव आते हैं। उन्हें यह समझाने के लिए सरल उदाहरण दें, जैसे कि बादल का रूप बदलना या फूल का खिलना।

  • बच्चों को सरल उदाहरणों से सिखाएं, जैसे फूल का खिलना और मुरझाना।
  • उन्हें बताएं कि हर अनुभव कुछ न कुछ सिखाता है और इसे सकारात्मक रूप में लेना चाहिए।
  • उदाहरण: परीक्षा में असफल होने पर हिम्मत न हारने और आगे बढ़ने की सीख दें।

भभगवद गीता बच्चों के मानसिक, भावनात्मक और नैतिक विकास के लिए एक अनमोल ग्रंथ है। इसके जीवन पाठ उन्हें अच्छे इंसान बनने और जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं। बच्चों को गीता की शिक्षाओं से परिचित कराना न केवल उनके चरित्र निर्माण में सहायक होगा, बल्कि यह उन्हें एक बेहतर और संतुलित जीवन जीने के लिए भी प्रेरित करेगा।

आइए, हम अपने बच्चों को गीता की इन अनमोल सीखों से जोड़ें और उन्हें जीवन में सही राह दिखाने का प्रयास करें। 🌱✨

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